तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी ने एक बार फिर पार्टी की सहयोगी महुआ मोइत्रा पर तीखा हमला बोला है। बनर्जी ने इस बार मोइत्रा को ‘निम्न स्तर’ का बताया है। दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद अब निजी हमलों में बदल गया है। यह विवाद तब और बढ गया जब बनर्जी ने मोइत्रा की शादी पर टिप्पणी की, जिसके जवाब में महुआ ने उन्हें ‘सुअर’ कहा था।
कल्याण बनर्जी ने क्या कहा?
पत्रकारों से बात करते हुए कल्याण बनर्जी ने कहा कि महुआ मोइत्रा के बारे में बात करना ‘समय और ऊर्जा की बर्बादी’ है। उन्होंने कहा, ‘वह महिला मेरे विषय से बिल्कुल भी संबंधित नहीं हैं और वह बहुत ही निम्न स्तर की हैं। उनके बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है।’ बनर्जी ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें मोइत्रा पर गुस्सा आया था और उन्होंने दीदी (ममता बनर्जी) से भी कुछ बातें कही थीं, जिसका उन्हें अब पछतावा है।
श्रीरामपुर के सांसद ने बताया कि एक जूनियर वकील के मैसेज ने इस मामले पर उनकी सोच को बदल दिया है। उन्होंने कहा, ‘एक वकील के टेक्स्ट मैसेज ने इस मामले पर मेरी धारणा बदल दी है। वह मेरे ध्यान के लायक नहीं हैं। मैंने उन पर ध्यान देकर गलती की।’
महुआ मोइत्रा ने बनर्जी को कहा था ‘सुअर’
दोनों का विवाद तब गहराया जब मोइत्रा ने एक पॉडकास्ट में बनर्जी को ‘सुअर’ कहा था। इसके बाद, कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया और पार्टी ने काकोली घोष दस्तीदार को नया मुख्य सचेतक और शताब्दी रॉय को सदन में पार्टी का नया उपनेता नियुक्त किया।
महुआ मोइत्रा ने इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में पिनाकी मिश्रा के साथ अपनी शादी पर बनर्जी की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा था, ‘आप सुअर से कुश्ती नहीं लडते। क्योंकि सुअर को यह पसंद है और आप गंदे हो जाते हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि भारतीय संसद में हर पार्टी में ‘घोर स्त्री-द्वेषी, यौन रूप से कुंठित, भ्रष्ट पुरुष’ मौजूद हैं।
बनर्जी का पलटवार
महुआ मोइत्रा की टिप्पणियों के बाद कल्याण बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक लंबी पोस्ट लिखी। उन्होंने कहा कि मोइत्रा द्वारा एक साथी सांसद की तुलना ‘सुअर’ से करना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है और यह नागरिक संवाद के बुनियादी मानदंडों की अनदेखी है।
उन्होंने आगे लिखा, ‘जो लोग सोचते हैं कि गाली-गलौज से सार की जगह ली जा सकती है, उन्हें अपनी राजनीति पर गौर करना चाहिए और यह उनके खोखलेपन को उजागर करती है।’ बनर्जी ने यह भी कहा कि जब कोई जनप्रतिनिधि अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है, तो यह ताकत नहीं, बल्कि असुरक्षा को दर्शाता है।