मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि अगर पुलिस सिफारिश करती है, तो कर्नाटक सरकार धर्मस्थल में सामूहिक दफ़न के आरोपों की जाँच के लिए एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) के गठन पर विचार करेगी। उनका यह बयान इस मामले की विश्वसनीय और स्वतंत्र जाँच की बढ़ती माँग के बीच आया है। मीडिया को संबोधित करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, अगर पुलिस एसआईटी बनाने को कहती है, तो हम ऐसा करेंगे। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि राज्य सरकार किसी बाहरी दबाव में नहीं, बल्कि पूरी तरह से कानून के अनुसार काम करेगी। उन्होंने कहा कि हम पर कोई दबाव नहीं है। अगर कोई दबाव डालने की कोशिश भी करता है, तो हम सिर्फ़ कानून का पालन करेंगे।
यह मामला तब राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया जब एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि 1995 से 2014 के बीच धर्मस्थल मंदिर प्रशासन में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने के दौरान उसे कई हत्या पीड़ितों के शवों को निपटाने के लिए मजबूर किया गया था। व्हिसलब्लोअर, जिसकी पहचान उसके जीवन को खतरे के कारण गुप्त रखी गई है, ने दावा किया कि पीड़ितों में से कुछ महिलाएं थीं, जिनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ था। सिद्धारमैया ने कहा कि यह व्यक्ति 10 साल से फरार है। उसने अब दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बयान दिया है। उसका कहना है कि उसने शवों को दफनाया था और वह शवों के ठिकाने दिखाने को तैयार है। देखते हैं पुलिस क्या कहती है।
इस बीच, उच्च-स्तरीय जाँच के लिए जनता का दबाव बढ़ रहा है। कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एसआईटी के गठन की माँग की है, जबकि दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भी सरकार से पूरी ईमानदारी से निष्पक्ष जाँच शुरू करने का आग्रह किया है।