दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में एक नाबालिग लड़की की बलात्कार के बाद हत्या के जुर्म में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है। साथ ही दोषी के पिता को भी दंडित किया है, जिसने बच्ची की हत्या में उसकी सहायता की थी।
लड़की नौ फरवरी 2019 को लापता हो गई थी और उसका शव दो दिन बाद एक पार्क में मिला था तथा उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने 27 वर्षीय राजेंद्र और उसके 57 वर्षीय पिता राम सरन के खिलाफ मामले में सुनवाई की।
चौबीस फरवरी को 168 पृष्ठों के दोषसिद्धि आदेश में अदालत ने कहा कि परिस्थितियां और अभियोजन पक्ष के साक्ष्य एक पूर्ण श्रृंखला पेश करते हैं, जिनसे यह अपरिहार्य निष्कर्ष निकलता है कि राजेंद्र ने अपनी हवस पूरी करने के लिए लड़की का अपहरण किया और उसका यौन उत्पीड़न किया।
अदालत ने कहा कि मामले में यह उचित संदेह से परे साबित हुआ है कि यह व्यक्ति और उसका पिता क्रूर हत्या के लिए जिम्मेदार हैं।
राजेंद्र को जहां बलात्कार, हत्या और अपहरण के अलावा पोक्सो अधिनियम के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोपों में दोषी ठहराया गया, वहीं सरन को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दोषी ठहराया गया।
आदेश में कहा गया है, “ पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि अपहरण के पीछे मकसद हवस थी और उसकी हत्या कर उसके शव को पार्क में गुप्त रूप से फेंकने के पीछे का मकसद कानूनी सजा से खुद को बचाना था।”
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई पेश हुए और उन्होंने कहा कि राजेंद्र ने चिप्स का लालच देकर लड़की को बहलाया-फुसलाया और अपने घर पर उसका उत्पीड़न किया।