तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में वामपंथी, दक्षिणपंथी और नक्सलवादी समूहों के ‘रेनबो’ गठजोड़ ने राज्य में अशांति फैलाने के लिए इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) जैसे समूहों से हाथ मिला लिया है। अपने आरोपों के पक्ष में पार्टी ने दक्षिण 24 परगना जिले के कुछ हिस्सों और शहर में हाल में हुई झड़पों का उदाहरण दिया।
वहीं, भाजपा ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस एवं उसकी भ्रष्ट सरकार लोगों के बढ़ते गुस्से और आईएसएफ के आने के बाद अपने खिसकते मुस्लिम वोट बैंक से डरी हुई है।
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने पीटीआई को बताया कि 25 जनवरी को कोलकाता में ‘नागरिक मोर्चा’ के बैनर तले हुई रैली में भाजपा, माकपा, कांग्रेस और नक्सलियों के ‘रेनबो गठबंधन’ ने ‘साम्प्रदायिक’ आईएसएफ द्वारा दक्षिण 24 परगना के भानगर में तृणमूल कांग्रेस के कार्यालयों पर हमले के लिए हाथ मिलाया।
आईएसएफ के विधायक नौशाद सिद्दीकी और पार्टी के 17 अन्य कार्यकर्ताओं को पार्टी के स्थापना दिवस पर 21 जनवरी को एसप्लनेड इलाके में हुई हिंसा में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
पार्टी ने उसके झंडे उखाड़ने के लिए तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया था।
पार्टी का गठन राज्य विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 2021 में हुआ और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस तथा भाजपा के खिलाफ उसने माकपा और कांग्रेस के ‘संयुक्त मोर्चा’ से हाथ मिला लिया।
रॉय ने दावा किया, ‘‘राज्य में अन्य जगहों की तरह ही भानगर में भी हमारी रणनीति अशांति फैलाने के प्रयासों से राजनीतिक और लोकतांत्रिक तरीके से निपटना है। आईएसएफ ने हमारे कार्यकर्ताओं पर बिना किसी उकसावे के हमला किया है, लेकिन हमने हालात बिगड़ने नहीं दिए।