वकालत करने के साथ साथ-साथ विधायक बनने वाले वीरेंद्र सिंह कादियान राजधानी दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के सदस्य हैं। वे दिल्ली कैंट निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली की सातवीं विधान सभा के सदस्य हैं। इसके अलावा भी विधायक कादियान नई दिल्ली नगरपालिका परिषद नई दिल्ली में नगर परामर्शदाता के रूप में काम करते हैं। उन्होंने सरकार और नौकरशाही व्यवस्था से भ्रष्टाचार को खत्म करने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। वे 2012 में आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल हुए थे।
प्रारंभिक जीवन
विधायक वीरेंद्र सिंह कादियान का जन्म 4 फरवरी 1975 को हरियाणा के झज्जर जिले के दुबलधन (बिधियान) गांव में हुआ था । उनका जन्म सेना की पृष्ठभूमि वाले एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। वह सबसे बड़े बेटे हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा आर्मी स्कूल बागडोगरा (पश्चिम बंगाल), वैश पब्लिक स्कूल और सेंट थॉमस स्कूल रोहतक से हुई। इसके बाद वीरेंद्र सिंह ने उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से एलएलबी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम और भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली से विधि प्रारूपण में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया है।
कादियान का कार्यक्षेत्र
उन्होंने भारतीय वायु सेना में सार्जेंट के रूप में कार्य किया । वह एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ हैं। वह आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य हैं। वह दिल्ली सरकार के राज्य सैनिक बोर्ड के नियुक्त सदस्य हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय के मोती लाल नेहरू कॉलेज (सुबह और शाम) के शासी निकाय के कोषाध्यक्ष हैं। वह नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) में नगर परामर्शदाता के रूप में भी कार्यरत हैं। वह विभिन्न पूर्व सैनिक संघों से जुड़े हुए हैं तथा सेवारत एवं पूर्व सैनिकों तथा उनकी विधवाओं की सहायता के लिए कार्य करते हैं।
जानिए राजनीतिक सफर
आम आदमी पार्टी के नेता कादियान सरकार और नौकरशाही व्यवस्था से भ्रष्टाचार को खत्म करने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। वे 2012 में आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल हुए, 2012 से राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और AAP दिल्ली कैंट विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं। साजिया इल्मी के इस्तीफे के बाद उन्हें 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव तक आरके पुरम निर्वाचन क्षेत्र के राजनीतिक पर्यवेक्षक के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने 2015 में दिल्ली कैंट का चुनाव लड़ा। इसके बाद वह अंतिम बार 11 फरवरी 2020 को दिल्ली कैंट से दिल्ली विधानसभा के सदस्य चुने गए।