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कार्यवाहक प्रधानमंत्री की बात ‘‘जल्दबाजी’’, अभी तो परामर्श भी शुरू नहीं हुआ:डार

ने उन खबरों को खारिज कर दिया है, जिनमें कहा गया था कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वह सबसे आगे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह की बात करना अभी ‘‘जल्दबाजी’’ होगी क्योंकि अभी तक तो परामर्श भी शुरू नहीं हुआ है।
निजी टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में मंगलवार को 73 वर्षीय डार ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) इसके बारे में निर्णय करेगा।
पाकिस्तान की मुख्यधारा की मीडिया में आयी खबरों के अनुसार सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी डार के नाम को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर पेश करने पर विचार कर रही है। मौजूदा नेशनल एसेंबली का कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो रहा है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी खबरों में कहा है कि डार का नाम तब चर्चा में आया जब प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार ने चुनाव अधिनियम 2017 में बदलाव पर विचार किया।

जियो न्यूज की खबरों के अनुसार, डार ने कहा कि वह नियुक्ति पर नेतृत्व के फैसले को स्वीकार करेंगे, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि कार्यवाहक व्यवस्था की शक्तियों को बढ़ाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार का कार्यकाल 90 दिन का होना चाहिये, न कि 60 दिन। इस बीच सूत्रों ने संकेत दिया कि पीडीएम सरकार कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही विधानसभाओं को भंग कर सकती है ताकि कार्यवाहक व्यवस्था को 90 दिन का समय मिले।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) पारदर्शी चुनाव कराने के लिये जिम्मेदार है।
पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, यदि नेशनल असेंबली अपना कार्यकाल पूरा कर लेती है तो 60 दिनों के भीतर चुनाव कराने होते हैं, लेकिन विधानसभा समय से एक दिन पहले भी भंग होने की स्थिति में सरकार को चुनाव कराने के लिए 90 दिन का समय मिल जाएगा। आम चुनाव के बाद नई सरकार बनने तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री देश का प्रशासन संभालेंगे।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने कथित तौर पर डार का समर्थन करने में अनिच्छा दिखाई है।
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी उन खबरों को खारिज कर दिया है कि इस पद के लिए डार के नाम पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शीर्ष पीएमएल-एन नेतृत्व – शरीफ परिवार – के किसी भी करीबी को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नहीं चुना जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कार्यवाहक व्यवस्था पर उंगलियां न उठें।
डॉन अखबार की खबरों के अनुसार, इस बीच, दोस्तों और दुश्मनों दोनों के कड़े विरोध ने सरकार को चुनाव सुधारों के हिस्से के रूप में कार्यवाहक व्यवस्था को ‘‘असीमित शक्तियां’’ देने की अपनी योजना को एक दिन के लिए स्थगित करने पर मजबूर कर दिया।
चुनाव सुधारों पर संसदीय समिति ने मसौदे को मंजूरी दी थी, इसे शॉर्टकट माध्यम से पारित कराना था। इस मसौदे में अंतिम क्षणों में एक विवादास्पद खंड जोड़ा गया था, जो कार्यवाहक व्यवस्था के दायरे को बढाने के लिये था।

यह खंड कार्यवाहक व्यवस्था को‘‘तत्काल मामलों’’ पर निर्णय लेने की अनुमति देने वाला था।
खबरों में कहा गया है कि नेशनल असेंबली द्वारा पहले ही पारित चुनाव संशोधन विधेयक, मंगलवार को संयुक्त बैठक के एजेंडे में रखा गया था। इसे 90 दिनों के भीतर सीनेट में पारित नहीं किया जा सका।
इसमें कहा गया है कि सरकार चाहती थी कि चुनाव सुधारों की लंबी सूची को उसी विधेयक में संशोधन के माध्यम से पारित किया जाए और जो बदलाव किये गये थे उससे सांसद भी अनजान थे।
सीनेट के पूर्व अध्यक्ष रजा रब्बानी ने एक प्रक्रियात्मक आपत्ति उठाते हुए कहा कि नियमों के तहत, यदि एजेंडे में किसी विधेयक में संशोधन पेश किया जाना है तो एक स्पष्ट दिन के नोटिस की आवश्यकता होती है। रक्षा मंत्री आसिफ भी इस बात पर सहमत हुए कि विधेयक को एक दिन के लिए टाल दिया जाए।
नेशनल असेंबली स्पीकर ने सांसदों को संशोधन पढ़ने का समय देने के लिए विधेयक को स्थगित कर दिया।

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