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Pakistan: मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों को कम करने के लिए विधेयक पारित

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने बुधवार को प्रधान न्यायाधीश की विवेकाधीन शक्तियों को कम करने के उद्देश्य से एक विधेयक पारित किया। इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि यदि सदन ने देश के शीर्ष न्यायाधीश की शक्तियों को कम करने के लिए कानून को मंजूरी नहीं दी तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।
कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने मंगलवार रात संसद में द सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) एक्ट, 2023 पेश किया, जिसे शाम को ही कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।

निचले सदन ने एक ट्वीट कर घोषणा की, नेशनल असेंबली ने द सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) विधेयक, 2023 पारित कर दिया है।
दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने देश के शीर्ष न्यायाधीश की स्वत: संज्ञान शक्तियों पर सवाल उठाया था।
तरार ने कहा, ऐसा कहा जा रहा है कि एक संवैधानिक संशोधन किया जाना चाहिए। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि संवैधानिक संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है।
उत्तरी वजीरीस्तान से सांसद मोहसिन डावर ने संशोधन पेश किया जिसे स्वीकार कर लिया गया।

स्वत: संज्ञान शक्तियों के संबंध में, मसौदे में कहा गया है कि अनुच्छेद 184 (3) के तहत मूल अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने वाले किसी भी मामले को सबसे पहले तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों की समिति के समक्ष रखा जाएगा।
मसौदे के अनुसार, यदि समिति का विचार है कि संविधान के भाग दो के अध्याय एक द्वारा प्रदत्त किसी भी मौलिक अधिकार के प्रवर्तन के संदर्भ में सार्वजनिक महत्व का प्रश्न शामिल है, तो यह कम से कम तीन सदस्यों वाली एक पीठ का गठन करेगी। मामले के फैसले के लिए पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और समिति के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने देश के मुख्य न्यायाधीश की विवेकाधीन शक्तियों को कम करने की कोशिश को लेकरसंघीय सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस कदम का उद्देश्य न्यायपालिका पर ज्यादा दबाव बनाना था।
एक टीवी चैनल ने मंगलवार को खान के हवाले से कहा, हम में से हर कोई न्यायिक सुधार चाहता है। लेकिन, उनका (पीडीएम पार्टियों का) एकमात्र लक्ष्य चुनाव से बचना है।
खान ने ट्वीट किया, अपराधियों के गिरोह द्वारा पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट पर हमला, उसकी शक्तियों को कम करने और उसे नीचा दिखाने के प्रयासों का लोगों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है और यह प्रतिरोध जारी रहेगा।

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