पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अपने प्रवासी समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान कश्मीर को पाकिस्तान के ‘‘गले की नस’’ बताते हुए कहा कि हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे। भारत ने मुनीर के इस बयान पर तगड़ा पलटवार तो कर दिया है साथ ही सतर्कता भी बरती जा रही है क्योंकि उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ मुसलमान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में संदेह इस बात का भी है कि जिन्ना के दो-राष्ट्र वाले सिद्धांत का जिक्र कर और हिंदू विरोधी टिप्पणी कर कहीं मुनीर ने भारतीय मुसलमानों को भड़काने का प्रयास तो नहीं किया है।
हम आपको यह भी बता दें कि भारतीय खुफिया प्रतिष्ठान ने मुनीर की इस भड़काऊ बयानबाजी को बलूचिस्तान में संघर्ष के चलते बिगड़ती स्थिति और कराची तथा अन्य स्थानों में हत्याओं के मद्देनजर पाकिस्तान सेना की खराब होती सार्वजनिक छवि को सुधारने की कवायद के रूप में भी देखा है। साथ ही कश्मीर पर ध्यान केंद्रित कर मुनीर ने आंतरिक चुनौतियों की ओर से ध्यान भटकाने का प्रयास किया है। हम आपको बता दें कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और इस्लामिक स्टेट के साथ संघर्ष के बढ़ने से पाकिस्तानी सेना की स्थिति और खराब हो गई है। टीटीपी ने अफगानिस्तान को एक उपनिवेश के रूप में इस्तेमाल करने की पाकिस्तान सेना की लंबे समय से चली आ रही महत्वाकांक्षा को विफल कर दिया है।
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इसके अलावा, सूत्रों का कहना है कि यह भी संदेह है कि मुनीर का बयान भारत में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मुसलमानों को भड़काने की कोशिश भी हो सकती है। एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने कहा, “ऐसे बयान ध्यान भटकाने वाली रणनीति हैं, जिन्हें पहले भी आजमाया जा चुका है और वे कारगर नहीं रहे हैं। उनकी आंतरिक सुरक्षा खस्ताहाल है इसीलिए उन्हें इस तरह की बयानबाजी की जरूरत है।” विश्लेषकों ने मुनीर के इस भाषण को बढ़ती अशांति के बीच सेना का प्रभाव बढ़ाने के एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा है। हम आपको बता दें कि अपने भाषण में ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ और कश्मीर का हवाला देकर, मुनीर लोगों को एकजुट करने के लिए भावनात्मक मुद्दों का इस्तेमाल करते दिखे, जबकि उनकी हिंदू विरोधी टिप्पणी पाकिस्तान के भीतर कट्टरपंथी भावनाओं को बढ़ावा देती है। साथ ही मुनीर के भाषण से कूटनीतिक संबंधों में और तनाव पैदा होने का खतरा भी है।
जहां तक मुनीर के भाषण की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान के ‘‘गले की नस’’ बताया और उन्होंने विदेशों में रह रहे पाकिस्तानियों से देश की कहानी अपने बच्चों को बताने का भी आग्रह किया। मुनीर ने इस बात पर जोर दिया कि उनके पूर्वज मानते थे कि हिंदू और मुसलमान जीवन के हर पहलू में भिन्न हैं। जनरल मुनीर ने मंगलवार को इस्लामाबाद में पहले प्रवासी पाकिस्तानी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है, यह (कश्मीर) हमारे गले की नस थी, यह हमारे गले की नस रहेगी और हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे।’’ इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, वरिष्ठ मंत्री और विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी शामिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनीर ने प्रवासी समुदाय से आग्रह किया कि वे उन मूल्यों और दृष्टिकोण को संरक्षित रखें जिनके लिए पाकिस्तान का गठन किया गया था तथा इसकी कहानी अपने बच्चों के साथ साझा करें। उन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक एमए जिन्ना द्वारा प्रतिपादित द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा, ‘‘आपको अपने बच्चों को पाकिस्तान की कहानी बतानी होगी ताकि वे यह न भूलें कि हमारे पूर्वज सोचते थे कि हम जीवन के हर संभव पहलू में हिंदुओं से अलग हैं।’’ मुनीर ने कहा, ‘‘हमारे धर्म अलग हैं, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं, हमारी परंपराएं अलग हैं, हमारे विचार अलग हैं, हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यहीं से द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की नींव रखी गई। हम दो राष्ट्र हैं, हम एक राष्ट्र नहीं हैं।”
वहीं भारत ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर का पाकिस्तान के साथ एकमात्र संबंध यह है कि इस्लामाबाद केंद्र शासित प्रदेश के अवैध रूप से कब्जे वाले हिस्से को खाली कर दे। इसके साथ ही भारत ने क्षेत्र पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की टिप्पणी की कड़ी निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘कोई विदेशी चीज गले में कैसे अटक सकती है? यह भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है। पाकिस्तान के साथ इसका एकमात्र संबंध उस देश द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्रों को खाली कराना है।’’ हम आपको बता दें कि भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख ‘‘हमेशा देश का अभिन्न अंग थे, हैं और रहेंगे।’’ हम आपको याद दिला दें कि भारत द्वारा पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गिरावट आई है।