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मोदी जी पानी दे दो! वॉटर बम से पाकिस्तान हुआ बेदम, पत्र लिखकर फिर मांगी भीख, अब क्या है भारत का प्लान?

मोदी ने सिंधु नदी पर हमला कर दिया है। या तो अब सिंधू नदी बहेगी या खून बहेगा। भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का फैसल किया तो कुछ इस अंदाज में पाकिस्तान ने धमकी वाले तेवर में रिएक्ट किया था। अब, हमले और उसके बाद के ऑपरेशन सिंदूर के लगभग तीन सप्ताह बाद, पाकिस्तान के सुर और तेवर दोनों ढीले पड़ते नजर आ रहे हैं। कल तक सिंधु को लेकर रण छेड़ने की धमकी देने वाला पाकिस्तान अब याचना की मुद्रा में आ गया है। पाकिस्तान ने चिट्ठी लिखकर नई दिल्ली से सिंधु जल संधि को स्थगित करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि संधि को रोकने का नई दिल्ली का कदम पाकिस्तान में संकट पैदा कर सकता है।

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सिंधु जल पर भारत से क्या याचना पाकिस्तान ने की 
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय से सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। अपनी भारतीय समकक्ष देबश्री मुखर्जी को लिखे पत्र में मुर्तजा ने नई दिल्ली द्वारा उठाई गई विशिष्ट आपत्तियों पर चर्चा करने के लिए अपनी सरकार की तत्परता व्यक्त की। उन्होंने भारत के कदम के कानूनी आधार पर भी सवाल उठाया कि संधि में कोई निकास संबंधी खंड नहीं है। हालांकि, भारत सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है। 
भारत अपने स्टैंड पर कायम
जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने इस घटनाक्रम पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया कि मौजूदा परिस्थितियों में भारत की स्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है। सूत्रों ने दोहराया कि संधि को निलंबित करने का निर्णय जम्मू कश्मीर को लगातार निशाना बनाकर सीमा पार से होने वाले आतंकवाद’के कारण लिया गया था। गत 24 अप्रैल को लिखे पत्र में मुखर्जी ने मुर्तजा को सूचित किया था कि ‘संधि के तहत प्रस्तावित वार्ता में शामिल होने से पाकिस्तान का इनकार और आतंकवाद को लगातार प्रायोजित करना संधि का उल्लंघन है। चाहे कुछ भी हो जाए, भारत उन्हें पानी की एक बूंद भी नहीं देंगा। भारत ने यह भी घोषणा की थी कि वह पाकिस्तान के साथ बाढ़ की चेतावनी साझा करना बंद कर देगा।
टाइमिंग काफी अहम है
पाकिस्तान की अपील की टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण है। भारत की दो पूर्व सूचनाएँ जनवरी 2023 में और फिर सितंबर 2024 में सिंधु जल संधि की समीक्षा और संशोधन  का अनुरोध किया गया था, इस्लामाबाद से अनुत्तरित रहीं। हालाँकि, स्थगन और ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर कुछ इच्छा दिखाई है।

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सिंधु जल संधि कब की गई थी
भारत और पाकिस्तान के बीच जल-बंटवारे के समझौते सिंधु जल संधि (IWT) पर 19 सितंबर, 1960 को हस्ताक्षर किए गए थे। सिंधु नदी प्रणाली में तीन पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास और सतलुज और उनकी सहायक नदियाँ) और तीन पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम और चिनाब और उनकी सहायक नदियाँ) शामिल हैं। संधि के अनुसार, भारत सिंधु प्रणाली के कुल जल का लगभग 20% नियंत्रित करता है, जबकि पाकिस्तान को लगभग 80% मिलता रहा था। 23 अप्रैल को विदेश मंत्रालय (एमईए) ने प्रतिक्रिया में कई सख्त उपायों की घोषणा की, जिसमें सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करना भी शामिल है।  दरअसल, 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मौजूदगी में सिंधु जल संधि हुई थी। इस संधि के तहत पाकिस्तान को 6 बेसिन नदियों में से 3 का पानी मिला। सिंधु, झेलम और चिनाब जबकि भारत को रावी, व्यास और सतलुज का पानी मिला। लेकिन अब जब भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने का फैसला किया तो सबसे पहला कदम सिंधु जल संधि को सस्पेंड करना। पाकिस्तान की 80 प्रतिशत खेती और 30 प्रतिशत पावर प्रोजेक्ट सिंधु जल पर टिके हैं। पानी रुकने पर पाकिस्तान की कमर टूट गई। 
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने का प्रभाव
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने के निर्णय का पाकिस्तान पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। जिसका उल्लेख खुद पाकिस्तान ने अपने पत्र में किया है। पाकिस्तान ने रोना रोते हुए कहा है कि उनका देश एक कृषि अर्थव्यवस्था है। लाखों लोग इस संधि द्वारा विनियमित पानी पर निर्भर हैं। भारत का निर्णय पाकिस्तान के लोगों और उसकी अर्थव्यवस्था पर हमला करने के बराबर है। बता दें कि पाकिस्तान सिंधु नदी प्रणाली पर बहुत अधिक निर्भर है, इसकी लगभग 80 प्रतिशत खेती योग्य भूमि यानी 16 मिलियन हेक्टेयर इन नदियों के पानी पर निर्भर है। संधि द्वारा शासित नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) सिंचाई, शहरी खपत और जलविद्युत के लिए पानी की आपूर्ति करती हैं। पाकिस्तान पहले से ही वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक जल-तनावग्रस्त देशों में से एक है, जहाँ प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में गिरावट आ रही है। देश की जल भंडारण क्षमता कम है, और किसी भी तरह की रुकावट मौजूदा कमज़ोरियों को और बढ़ा देती है। कृषि के अलावा, सिंधु जल पाकिस्तान के कराची, लाहौर और मुल्तान जैसे शहरों के लिए पीने के पानी के लिए भी महत्वपूर्ण है। पानी की आपूर्ति में कटौती से इन शहरों में पानी की कमी हो जाएगी, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

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