याद कीजिए वो दौर जब आसमान में उड़ने वाले हर विमान पर मेड इन यूएसए मेड इन फ्रांस लिखा होता था। लेकिन अब वो वक्त बदल चुका है क्योंकि अब आसमान में गूंजने जा रहा मेड इन इंडिया की दहाड़। जी हां, आज भारत ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी। भारत अब खुद यात्री विमान बनाएगा वो भी भारत में। अब वो सपना साकार होने जा रहा है जिसने पूरे भारत को गर्व से भर दिया। हिंदुस्तान एयररोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल और हमारे सबसे भरोसेमंद सहयोगी रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन यानी कि यूएईसी ने मिलकर बड़ा ऐलान कर दिया। यह साझेदारी सिर्फ एक समझौता नहीं यह भारत रूस की अटूट दोस्ती की नई उड़ान है और यह सुनकर पाकिस्तान और अमेरिका दोनों के होश उड़ गए हैं।
1988 के बाद भारत में निर्मित होने वाला पहला यात्री विमान
एचएएल ने कहा कि एसजे-100 परियोजना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि 1988 में समाप्त हुई एवरो एचएस-748 परियोजना के बाद यह पहली बार है जब भारत में एक पूर्ण यात्री विमान का निर्माण किया जाएगा। कंपनी ने एसजे-100 को सरकार की उड़ान योजना के तहत छोटी दूरी की कनेक्टिविटी के लिए एक संभावित गेम-चेंजर बताया। इस समझौते के तहत, एचएएल को भारतीय ग्राहकों के लिए एसजे-100 के निर्माण का अधिकार प्राप्त होगा, जिससे छोटे शहरों में क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार के लक्ष्य में योगदान मिलेगा।
एसजे-100 विमान
एसजे-100 एक दो इंजन वाला, संकीर्ण शरीर वाला विमान है जिसे छोटी दूरी की उड़ानों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इनमें से 200 से ज़्यादा जेट विमानों का उत्पादन पहले ही हो चुका है और दुनिया भर में 16 से ज़्यादा वाणिज्यिक एयरलाइनों द्वारा इनका संचालन किया जाता है। यह विमान 103 यात्रियों को ले जा सकता है और इसकी उड़ान सीमा लगभग 3,530 किलोमीटर है। यह अपनी कम परिचालन लागत और -55°C से 45°C तक की विस्तृत जलवायु में कुशलतापूर्वक प्रदर्शन करने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
भारत-रूस साझेदारी
इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिसंबर 2025 में भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत की अपेक्षित यात्रा से पहले हुए हैं। यह समझौता दोनों देशों के बीच मज़बूत रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को दर्शाता है, भले ही वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव बना हुआ है। यह साझेदारी ऐसे समय में हुई है जब भारत बढ़ते अमेरिकी दबाव और रूसी तेल की निरंतर खरीद से जुड़े टैरिफ के बावजूद रूस के साथ अपने संबंधों को गहरा कर रहा है।