चीन के वैज्ञानिकों ने बुधवार को बताया कि चंद्रमा के सुदूर भाग से प्राप्त मिट्टी और चट्टानों से संकेत मिलते हैं कि वह हिस्सा पृथ्वी की ओर वाले हिस्से की तुलना में अधिक शुष्क हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने हालांकि कहा कि स्पष्ट तस्वीर के लिए और अधिक नमूनों की आवश्यकता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि चंद्र आवरण में पानी की प्रचुरता यह समझाने में मदद कर सकती है कि चंद्रमा कैसे विकसित हुआ।
पिछले साल चीन चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर उतरने वाला पहला देश बन गया था। अंतरिक्ष यान ‘चांग ई 6’ ने दक्षिण ध्रुव-‘ऐटकेन बेसिन’ से ज्वालामुखीय चट्टान और मिट्टी को निकाला था।
‘चीनी विज्ञान अकादमी’ के सेन हू ने बताया कि उन्होंने और उनकी टीम ने पांच ग्राम मिट्टी के नमूने लिए और फिर विस्तृत विश्लेषण के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से 578 कणों का चयन किया।
उन्होंने बताया कि चंद्रमा के निकटवर्ती भाग से पिछले दशकों में एकत्र किए गए नमूनों की तुलना में इनमें पानी की प्रचुरता 1.5 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम से भी कम है। निकटवर्ती भाग से लिए गए नमूनों में यह मात्रा एक माइक्रोग्राम से लेकर 200 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम के बीच है।
‘नेचर पत्रिका’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि कम नमूने होने के कारण अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह शुष्क स्थिति कितनी व्यापक है। इसमें कहा गया है कि अभी और नमूनों पर अध्ययन किए जाने की जरूरत है।