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जम्मू-कश्मीर में फिर कुदरत का कहर, Kathua में बादल फटने से 7 की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड के बाद, अब कठुआ जिले में भी कुदरत का कहर देखने को मिला है। एक सुदूर गांव में बादल फटने से कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और छह लोग घायल हो गए। यह घटना शनिवार और रविवार की दरमियानी रात को हुई। इससे पहले, किश्तवाड में भी इसी तरह की घटना में 60 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।
अधिकारियों के अनुसार, बादल फटने से गांव के कई घर मलबे और बाढ के पानी में दब गए। इस त्रासदी के कारण गांव तक पहुंचने वाले रास्ते भी बंद हो गए हैं, जिससे बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं। हालांकि, पुलिस और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की संयुक्त टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है और बचाव अभियान जारी है।
बचाव और राहत कार्य जारी
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी इस घटना से नुकसान पहुंचा है। कठुआ पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले बागड, चांगडा और दिलवान-हुतली गांवों में भी भूस्खलन हुआ है, लेकिन वहां किसी बडे नुकसान की खबर नहीं है। भारी बारिश के कारण इस क्षेत्र के ज्यादातर जलाशयों का जलस्तर तेजी से बढ रहा है। उझ नदी भी खतरे के निशान के करीब बह रही है। जिला प्रशासन ने लोगों से अपनी सुरक्षा के लिए जलाशयों से दूर रहने की अपील की है।
 

नेताओं ने जताया दुख
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना जताई और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हुए प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी पीडितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘कठुआ के कई इलाकों में बारिश के कारण हुए विनाशकारी भूस्खलन में लोगों की मौत से गहरा दुख हुआ है। यह त्रासदी मन को स्तब्ध कर देने वाली है।’ उन्होंने यह भी बताया कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ लगातार संपर्क में हैं और बचाव व राहत कार्यों की जानकारी दे रहे हैं। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें मिलकर राहत कार्यों को अंजाम दे रही हैं। वरिष्ठ अधिकारियों को भी प्रभावित क्षेत्रों में समन्वय और सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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