वॉशिंगटन डीसी में भारतीय और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडलों के बीच उस समय परोक्ष रूप से शब्दों की जंग छिड़ गई जब दोनों पक्ष अपने-अपने दृष्टिकोण से पहलगाम आतंकवादी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, कश्मीर मुद्दे और दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे। हम आपको बता दें कि यह विवाद पाकिस्तान प्रतिनिधिमंडल के नेता बिलावल भुट्टो की भड़काऊ टिप्पणी से शुरू हुआ। उन्होंने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना “बेंजामिन नेतन्याहू के एक घटिया चीनी संस्करण टेमू” से कर दी। हम आपको बता दें कि टेमू एक चीनी ई-कॉमर्स ऐप है जो सस्ते उत्पाद बेचता है। बिलावल भुट्टो ने भारत की पहलगाम हमले के जवाबी कार्रवाई की तुलना इजराइल के गाजा में सैन्य कार्रवाई से भी की।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने तत्काल पलटवार किया। भारतीय टीम के सदस्य और भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा, “पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो चीन से लिए गए घटिया उत्पादों पर जिंदा है, जिनमें उसके सैन्य उपकरण भी शामिल हैं।” उन्होंने कहा कि सीमा के इस पार प्रामाणिक, उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य संसाधन और मजबूत लोकतांत्रिक नेतृत्व को देखना शायद उन्हें चुभ रहा है। उन्होंने आगे कहा, “एक ऐसा देश जो विफल जनरलों को नायक बनाकर पेश करता है, वह असली नेताओं को कभी नहीं पहचान सकता।”
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हम आपको बता दें कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख शशि थरूर ने इस तरह के टकराव की पहले से ही आशंका जताई थी। वॉशिंगटन डीसी पहुंचने पर उन्होंने टिप्पणी की थी, “पाकिस्तानी भी उसी समय यहां होंगे इसलिए हो सकता है कि दिलचस्पी और बढ़े क्योंकि एक ही शहर में दो प्रतिस्पर्धी प्रतिनिधिमंडल मौजूद होंगे।” अमेरिका में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पाकिस्तान की आतंकवाद को शरण देने की नीति पर कड़ा हमला बोलते हुए कई तीखे कटाक्ष भी किये हैं। बिलावल भुट्टो के नेतृत्व वाले पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल पर निशाना साधते हुए उन्होंने हिलेरी क्लिंटन की प्रसिद्ध टिप्पणी दोहराते हुए कहा, ”अगर आप अपने आंगन में ज़हरीले साँप पालेंगे, तो वे सिर्फ आपके पड़ोसियों को नहीं डसेंगे, आपको भी डसेंगे।” शशि थरूर ने भुट्टो के संदर्भ में कहा, “मैं जानता हूँ कि भुट्टो की माँ की हत्या आतंकवाद की घटना में हुई थी और इस बात के लिए हमदर्दी है। लेकिन पाकिस्तान के शासकों के लिए सहानुभूति रखना मुश्किल है, जिन्होंने खुद इस आतंक के राक्षस को पैदा किया।” पाकिस्तान की कूटनीतिक मांगों के संदर्भ में थरूर ने कहा, “वे अपने दृष्टिकोण लेकर आ सकते हैं… लेकिन जो भी इस मुद्दे को गहराई से समझता है, उसे पाकिस्तान के बारे में सब पता है।” उन्होंने साथ ही कहा, “हम आतंक के शिकार लोगों के प्रति पूरी सहानुभूति रखते हैं, चाहे वे कहीं भी हों। मुझे याद है कि भारतीय संसद ने एक बार पाकिस्तान में हुए एक आतंकी हमले में मारे गए 40 स्कूली बच्चों की हत्या की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। लेकिन अफसोस की बात यह है कि हम उन पाकिस्तानी शासकों के साथ सहानुभूति नहीं रख सकते, जिन्होंने इस आतंक को जन्म दिया।”
हम आपको बता दें कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे बिलावल भुट्टो की हालत तो न्यूयॉर्क में ही पतली हो गई थी, जब वह यूएन में पत्रकारों के बीच पहले से तैयार सवालों के जरिए पाकिस्तान का पक्ष रखने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान एक पत्रकार ने बिलावल को उनके एक बयान के चलते आड़े हाथ ले लिया जिसमें उन्होंने भारत में मुस्लिमों की कथित तौर पर ‘‘खराब छवि’’ पेश किये जाने को लेकर टिप्पणी की थी। सवाल-जवाब सत्र के दौरान, मिस्र-अमेरिकी पत्रकार अहमद फातही, जोकि अमेरिकी टेलीविजन समाचार (एटीएन) के संयुक्त राष्ट्र में संवाददाता हैं, उन्होंने बिलावल से मुसलमानों के साथ भारत के व्यवहार पर उनकी टिप्पणियों के बारे में पूछा और उन्हें याद दिलाया कि संघर्ष के दौरान मीडिया को जानकारी देने वाली एक भारतीय मुस्लिम सैन्य अधिकारी सोफिया कुरैशी थीं। फातही ने कहा, ‘‘मैं आज आपके (बिलावल) द्वारा दिए गए एक बयान से शुरुआत करना चाहता हूं, जिसमें कहा गया है कि कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले का इस्तेमाल भारत में मुसलमानों को बदनाम करने के लिए एक राजनीतिक उपकरण के रूप में किया जा रहा है। महोदय, मैंने दोनों पक्षों की ओर से प्रेस को घटनाक्रम से अवगत कराने के कार्य को देखा है, जहां तक मुझे याद है भारतीय पक्ष की ओर से मीडिया को अवगत कराने का काम एक मुस्लिम भारतीय सैन्य अधिकारी कर रही थीं।’’ वह अपना दूसरा सवाल पूछने ही वाले थे कि बिलावल ने उन्हें बीच में ही रोक दिया। इसके बाद पाकिस्तानी नेता ने भारत की आलोचना की और हमेशा की तरह बयानबाजी जारी रखी। भुट्टो ने हमेशा की तरह पाकिस्तान को “आतंकवाद का शिकार” बताने वाला कथन भी दोहराया।
बहरहाल, बिलावल भुट्टो भले बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हों लेकिन उनकी सुनने वाला वहां कोई नहीं है क्योंकि सब जानते हैं कि वाशिंगटन डीसी शहर वही जगह है जहां पाकिस्तान के नागरिक रामज़ी यूसुफ और खालिद शेख़ मोहम्मद ने 1993 और 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले किए थे।