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China Border के पास बादलों में छुपे विमानों को उड़ा आई नई मिसाइल, अपने हथियारों को और ज्यादा घातक बना रहा भारत

अब किसी भी देश का हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर होना बहुत ही जरूरी हो गया है। भारत भी अब अपने यहां स्वदेशी हथियारों के निर्माण के साथ साथ और ज्यादा तैयारी कर रहा है। अपने हथियारों को और ज्यादा घातक बना रहा है। भारतीय सेना ने लद्दाख की 15 हजार फीट की ऊंचाई पर देश में ही बने आकाश प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। 16 जुलाई को हुए इस परीक्षण में तेज रफ्तार से उड़ रहे दो लक्ष्यों पर आकाश प्राइम मिसाइल ने बिल्कुल सटीक निशाना लगाया। यानी भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को तो कुछ समय के लिए रोक दिया। लेकिन अपनी रक्षा की तैयारियों को भारत ने विराम नहीं दिया है। रक्षा की तैयारियां बिल्कुल वैसे ही चल रही हैं कि जैसे युद्ध चल ही रहा हो। हम अपने आप को युद्ध के लिए एकदम तैयार रखे हुए हैं। 

चीन की सीमा के पास भारतीय सेना ने ऐसा तहलका मचाया है, जिसे देखकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। लद्दाख में चीनी सीमा के नजदीक भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने इन बादलों के पीछे छिपे अनमैन एरियल व्हीकल्स (यूएवी) को उड़ा दिया। यूएवीज को छोटा मानव रहिता विमान बोला जा सकता है। भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में 15 हजार फीट से ज्यादा ऊचाई पर स्वदेशी आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम से मिसाइल दाग दी। आकाश प्राइम पहले से ही मौजूद आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का एडवांस वर्जन है। यानी भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तहलका मचाने वाले आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को और भी ज्यादा खतरनाक बना दिया है। आकाश प्राइम ने बादलों के ऊपर और पहाड़ों के पीछे छुपे दो दुश्मन विमानों को लॉक किया, मिसाइल दाग दी और दुश्मन विमानों तो तबाह कर दिया। ये सबकुछ चीन की सीमा के पास हुआ है। 

आकाश एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है जिसकी मारक क्षमता 20 किलोमीटर है। डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. प्रहलाद रामाराव ने 15 साल पहले इस मिसाइल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसकी कम दूरी की मारक क्षमता हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है। इसमें अंतर्निहित इलेक्ट्रॉनिक प्रतिवाद प्रणाली है, और पूरी प्रणाली को मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म पर कॉन्फ़िगर किया गया है, जिससे यह सेना के लिए एक अत्यधिक गतिशील और शक्तिशाली हथियार बन गया है।

आपको बता दें कि सीडीएस ने जोर देकर कहा कि हम विदेश से इम्पोर्ट की गई उन टेक्नॉलजी पर निर्भर नहीं रह सकते, जो हमारे आक्रामक और डिफेस की मुहिम के लिए अहम है। ये हमारी युद्ध तैयारिया को कमजोर करती है। उन्होंने कहा, ‘विदेशी तकनीकों पर निर्भरता प्रोडक्शन बढ़ाने की हमारी क्षमता को सीमित करती है। इससे अहम पुर्जों की कमी होती है।’ उन्होंने कहा कि विदेशी हथियारों, सेसर और उनकी क्षमताओं से सभी वाकिफ है। दुश्मन इन प्रणालियों की क्षमता के आधार पर हमारी रणनीति का आकलन कर सकता है। 

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